आचार्य रामकृष्ण शास्त्री ने पत्रकारों से खुलकर किया संवाद क्या कुछ कहा…
इन दिनों टीपी नगर कोरबा स्थित आशीर्वाद प्वाइंट, पं. दीनदयाल सांस्कृतिक भवन में कबुलपुरिया परिवार का श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह महोत्सव का आयोजन चल रहा है। आज चौथे दिन कथा प्रारंभ होने से पूर्व दोपहर 12.00 बजे आचार्यश्री मृदुलकांत शास्त्री ने पत्रकारवार्ता ली और कहा कि भगवत कृपा के साथ पितरों का आशीर्वाद भी जरूरी है और संतानों को माता-पिता के जीवित रहने और मरने तक अपने धर्म का निर्वहन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि माता-पिता से बढक़र दुनिया में कोई नहीं होता। एक अच्छी संतान बनकर अपने कर्तव्यों पर पालन करने वाला इंसान सुख समृद्धि को प्राप्त करता है और ऐसे व्यक्ति के जीवन में कभी क्लेश नहीं आता और परिवार आबाद रहता है।
0पवित्र है छत्तीसगढ़ की मिट्टी
आचार्यश्री शास्त्री ने कहा कि मैंने देश के कई राज्यों में प्रवचन करने गया लेकिन छत्तीसगढ़ की मिट्टी जैसी पवित्रता कहीं नहीं देखी। यहां के लोग जजमानों का ऐसा स्वागत और ऐसा लगाव देखकर मैं काफी अभीभूत हूं। छत्तीसगढ़ की माटी ही ऐसी है, कि यहां जो भी आएगा, यहां से जाने का मन नहीं करता। उन्होंने उड़ीसावासियों की भी प्रशंसा की।
0उपदेश देने से पहले उसे अपने आचरण में लाएं, तभी उपदेश फलीभूत होगा
आचार्यश्री शास्त्री ने कहा कि आज धार्मिक उपदेश देने वाले अधिकांश वक्ता व्यवसायी हो गए हैं, यह दुर्भाग्य की बात है। उन्होंने एक प्रश्र के जवाब में कहा कि उपदेशक पहले अपने आचरण को चरित्रवान बनाएं और उपदेश दें तो वह ज्यादा सार्थक होगा। उन्होंने कहा कि जो परंपरा से जुड़ा नहीं और धार्मिक उपदेश देने लगा, ऐसे लोग ही आज ज्यादा व्यवसायी बन गए हैं। जो संप्रदाय से जुडक़र सनातन काल से उपदेश देते आ रहे हैं और पीढ़ी दर पीढ़ी भगवत भक्ति को अपनाकर कथा कह रहे हैं, ऐसे लोग कभी व्यवसायी नहीं बन सकते।
0अपने पितरों के मोक्ष के लिए 13 दिन समय अवश्य निकालें
आचार्यश्री शास्त्री ने कहा कि आज मनुष्य इतना व्यस्त हो गया है कि वह अपने परिवार के लिए भी समय नहीं निकालपाता, यह दुर्भाग्य है। मैंने महानगरों में देखा है कि यदि घर के बुजूर्ग का निधन हो जाता है तो चार दिन में ही क्रियाकर्म संपन्न कर लेते हैं। उन्होंने कहा कि पितरों के मोक्ष के लिए दशगात्र और तेरहवीं तक कार्यक्रम जरूरी है। उन्होंने संतानों से आग्रह किया कि पितरों के मोक्ष के लिए 13 दिन का समय अवश्य निकालें।
0कृष्ण भूमि की मुक्ति के लिए आंदोलन जरूरी नहीं
आचार्यश्री शास्त्री ने एक प्रश्र के जवाब में कहा कि कृष्ण भूमि मे कोई विवाद नहीं है और ना ही इसके लिए आंदोलन की जरूरत है। ब्रज भूमि में आज तक कोई हिंसा नहीं हुई और सभी धर्म के लोग सद्भाव पूर्वक रहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जो ब्रज भूमि के मूल निवासी हैं, मुस्लिम भी यज्ञ, कथा, मंदिर में सहयोग करते हैं। जो यहां के मूल निवासी नहीं, वे ही भडक़ाने की कोशिश करते हैं। वहां पहले से ही कृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान ट्रस्ट बना हुआ है और बातचीत से कृष्ण भूमि मुक्त हो जाएगी। काशी विश्वनाथ मंदिर विवाद भी जल्द सुलझ जाएगा।
0बिना नीति की हो गई है राजनीति
आचार्यश्री शास्त्री ने एक प्रश्र के जवाब में कहा कि आज की राजनीति ऐसी हो गई है, धर्म के आड़ में ऐसे लोग किसी तरह सत्ता तक पहुंचने की कोशिश में लोगों को लड़ाते हैं। उन्होंने कहा कि आज की राजनीति बिना नीति की हो गई है और सत्ता के लिए धर्म का दुरूपयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि राम राज्य तभी आएगा जब सभी सनातन मिलकर देश के लिए काम करेंगे। उन्होंने कहा कि सनातन हमें क्षमा करना सिखाता है और क्षमा करने वाले से बड़ा कोई नहीं होता। उन्होंने एक प्रश्र के जवाब में कहा कि यदि कोई जगत जननी का अपमान करता है, तो वह क्षम्य योग्य नहीं होता और ऐसे लोग राजनीतिक फायदे के लिए दंगा भडक़ाते हैं, जो दुर्भाग्यजनक है।
0धर्म गुरूओं को व्यक्ति पूजा से दूर रहना होगा
आचार्यश्री मृदुलकांत शास्त्री ने कहा कि आज व्यक्ति पूजा हावी हो गई है और धर्म गुरू भगवान की पूजा की प्रेरणा देने के बजाए स्वयं की पूजा के लिए लोगों को प्रेरित करते हैं, जो ठीक नहीं। उन्होंने कहा कि जो सर्वत्र हैं, जो सर्व ज्ञानी है, जो दुनिया का संचालन कर रहा है, उसकी पूजा होनी चाहिए, ना कि उपदेशक की। उन्होंने कहा कि वे 26 साल से धर्म उपदेश दे रहे हैं, लेकिन वे कभी भी व्यक्ति पूजा के समर्थक नहीं रहे। शंकराचार्य विवाद को लेकर कहा कि यह ऐसा पद है, जिसकी सब पूजा करते हैं, लेकिन इस पद के लिए विवाद नहीं होना चाहिए। प्रेसवार्ता में गोपाल अग्रवाल, सुभाष अग्रवाल, विनोद अग्रवाल, अनिल अग्रवाल, राकेश अग्रवाल, मामनचंद अग्रवाल, अशोक अग्रवाल, सतीश अग्रवाल, मुकेश अग्रवाल, विष्णु अग्रवाल, अजय अग्रवाल, भीम कुमार गुप्ता, जयनारायण गुप्ता, रजनीश अग्रवाल सहित कबुलपुरिया परिवार के अन्य सदस्य उपस्थित थे।