राज्य सरकार का बड़ा फैसला: पुराने-जर्जर पुलों की होगी सुरक्षा जांच
20 जुलाई तक सभी पुलों की वास्तविक स्थिति की रिपोर्ट मांगी गई
रायपुर । बिहार और अन्य राज्यों से पुलों के ढहने की खबरों के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने राज्य में पुलों की सुरक्षा के प्रति सतर्कता बढ़ा दी है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और पीडब्लूडी मंत्री अरुण साव के साथ मंथन के बाद पीडब्लूडी के सड़क-पुल डिवीजन ने प्रदेश की नदियों-नालों पर बने पुराने और हर साल लगभग डूबने वाले पुलों का सेफ्टी चेक शुरू कर दिया है।
पीडब्लूडी सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह ने सभी प्रमुख अभियंताओं को निर्देश दिए हैं कि सरकार खतरनाक और जर्जर पुलों के मामले में कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती। उन्होंने बताया कि 20 जुलाई तक सभी पुलों की वास्तविक स्थिति की रिपोर्ट मांगी गई है। इसके तुरंत बाद अच्छे हालात वाले पुलों की मरम्मत शुरू की जाएगी। बरसात में जिन पुलों को बंद करना जरूरी है, उन्हें सभी वैकल्पिक व्यवस्थाओं के साथ इस माह के अंत तक बंद कर दिया जाएगा। जिन पुलों का इस्तेमाल लोग बंद नहीं कर रहे हैं, उन्हें ढहाया जाएगा।
शासन ने प्रदेशभर के सड़क-पुल डिवीजन के प्रभारी अफसरों से तत्काल सेफ्टी चेक करने को कहा है। जांच गंभीरता से की जानी चाहिए और अगर सुरक्षित घोषित किए गए पुलों को बारिश के दौरान कोई नुकसान होता है, तो जांच करने वाले और निगरानी करने वाले इंजीनियरों पर कार्रवाई की जाएगी। डॉ. कमलप्रीत ने बताया कि सरकार का उद्देश्य है कि वैकल्पिक मार्गों से लोगों को सुरक्षित किया जा सके।
पीडब्लूडी विभाग ने पिछले महीने ब्रिज डिवीजन के प्रमुख अभियंताओं को पुराने पुलों के सेफ्टी चेक के निर्देश दिए थे। इन निर्देशों में कहा गया था कि पुराने पुलों की सतत निगरानी नहीं हो रही है, जिससे उनकी स्थिति और खराब हो रही है। सभी बड़े पुलों की विस्तृत जांच कर यह स्पष्ट करना होगा कि वे मरम्मत के लायक हैं या नहीं।
डॉ. कमलप्रीत ने कहा कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के निर्देशों के आधार पर सभी पुलों की रिपोर्ट मंगाई जा रही है। अगले कुछ दिनों में इस बारे में नीतिगत फैसला लिया जाएगा कि किन पुलों को आंशिक तौर पर और किन पुलों को स्थायी तौर पर बंद किया जाएगा। साथ ही, जो पुल इतने पुराने हो चुके हैं कि मरम्मत के लायक नहीं रह गए तथा जिनके समानांतर बड़े पुल शुरू हो चुके हैं, उन्हें पूरी तरह ढहाने का फैसला भी जल्द किया जाएगा।