एफएसएनएल को बचाने आगे आएं जनसमुदाय : शर्मा
भिलाई । जयप्रकाश नारायण स्मारक प्रतिष्ठान रूआबांधा और आचार्य नरेंद्र देव स्मृति जन अधिकार अभियान समिति के अध्यक्ष आर पी शर्मा ने जनसमुदाय से आह्वान किया है कि सार्वजनिक उपक्रम फैरो स्क्रैप निगम लिमिटेड (एफएसएनएल) को बचाने आगे आएं। शर्मा ने जारी बयान में कहा है कि वह सार्वजनिक उपक्रमों को बचाने और यहां व्याप्त अनियमितताओं को उजागर करने लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। इसमें सभी वर्ग को शामिल होना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि आज के दौर में भिलाई के तमाम सार्वजनिक उपक्रमों को लूटने होड़ मची हुई है। मैनें हमेशा सार्वजनिक उपक्रमों के हक में संघर्ष किया। इसकी कीमत मुझे निजी तौर पर अपना नुकसान करा कर चुकानी पड़ी है। उन्होंने कहा कि आज लोग अखबारी बयान देकर फैरो स्क्रैप निगम लिमिटेड (एफएसएनएल) को बचाने का ढोंग कर रहे हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि इन सभी ने बीते डेढ़ दशक में सब कुछ जानते हुए भी अपनी जुबां बंद रखी थी।
शर्मा ने कहा कि 2007 से एक बड़े ठेकेदार पवन कुमार लखोटिया ने सेल में अपनी 11 कंपनियों को अलग-अलग नाम से रजिस्टर्ड कर रखा था। 2007 में यही ठेकेदार लाखोटिया दुर्ग के तत्कालीन सांसद ताराचंद साहू को घूस देते हुए पकड़ा गया और जेल भी गया। उन्होंने कहा कि, मेरा स्पष्ट आरोप है कि स्क्रैप माफिया पवन लाखोटिया ने स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड , केंद्रीय सतर्कता आयोग,भिलाई इस्पात संयंत्र और इस्पात मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत से फैरो स्क्रैप निगम लिमिटेड (एफएसएनएल) को बंद करने की साजिश की थी। तब भिलाई में एमडी का पद खत्म कर दिया गया था लेकिन ईडी इंचार्ज विनोद अरोरा खुद को एमडी बताते रहे और इनके बाद गौतम पंकज को सीईओ बनाया गया। इस दौरान में भिलाई स्टील प्लांट के टेंडर में गड़बड़ी होती है और लखोटिया को लूटने के लिए पूरी छूट दे दी जाती है। तब सारे लोग मिलकर फेरो स्क्रैप को बंद करना चाहते हैं। इन लोगों की साजिश थी कि फैरो स्क्रैप निगम को बंद कर दिया जाए।
उन्होंने जारी बयान में कहा कि 2011 में मैनें इस बात को उजागर किया था कि ठेकेदार श्रीकुमार लखोटिया के साथ मिलकर एक पूर्व सांसद के पति और अमेरिकन कंपनी हार्शको कॉरपोरेशन इनकॉरपोरेट के भारतीय एजेंट श्रीधर चौधरी नई तकनीक के नाम पर सरकारी उपक्रम एफएसएनएल को बंद करने तथा अपनी अमेरिकन कंपनी को करोड़ों की परिसंपति वाले इस सार्वजनिक उपक्रम को कौड़ियों के मोल दिलाने की साजिश रच रहे थे। संभव है 10 साल पुरानी वह साजिश आज सफल हो जाए।
उन्होंने जारी बयान में कहा कि आज सार्वजनिक उपक्रम के हितैषी बनने का ढोंग कर रहे लोग तब यह सब जानते हुए भी शांत बैठे हुए थे। मैनें इस मुद्दे को उठाते हुए पूरे मामले की जांच सीबीआई और सीवीसी को भेजी। इससे हड़कंप मचना स्वाभाविक था। तब बौखलाए बीएसपी मैनेजमेंट ने मुझ पर झूठे आरोप लगाकर एक करोड़ की मानहानि का दावा कर दिया।
मुझे प्रताड़ित करने भारतरत्न लोकनायक जयप्रकाश प्रतिष्ठान की लीज को निरस्त करने की धमकी दी गई। सीईओ पंकज गौतम ने मुझे अपने चेंबर में बुलाकर कहा था कि जेपी प्रतिष्ठान खाली कर दो। तब मैनें जवाब दिया था, यह मैं नहीं कर सकता आप लोगों को जो करना है कर सकते हैं।
तब सीईओ पंकज गौतम के कहने पर हमारे जेपी प्रतिष्ठान को नुकसान पहुंचाया गया। मेरा स्पष्ट आरोप है कि इसके बाद मेरी हत्या की साजिश भी की गई। इसके बावजूद मैंनें झुकना नहीं सीखा था। मैनें संघर्ष किया और लखोटिया, पंकज गौतम और तब के सेल चेयरमैन चंद्रशेखर वर्मा को यह एहसास करा दिया कि भ्रष्टाचारियों का अंजाम क्या होता है। तब लाखोटिया को ना सिर्फ भिलाई बल्कि सेल की तमाम इकाईयों से भी बाहर निकलना पड़ा। फेरो स्क्रैप निगम को खत्म करने के षड़यंत्र के तहत सेल-भिलाई स्टील प्लांट ने यह आरोप लगा कर काम देने से मना कर दिया कि समय पर काम नहीं करते हैं। यह पूरी रिपोर्ट और भारत सरकार के दस्तावेज भी मेरे पास है। जबकि एफएसएनएल की वजह से भिलाई इस्पात संयंत्र को करोड़ों की बचत हो रही थी। यह सब प्रकाशित सार्वजनिक आंकड़ों में भी है।
उन्होंने जारी बयान में कहा कि तब मैनें माननीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, सांसद राहुल गांधी और 100 से ज्यादा जनप्रतिधियों को पत्र लिख कर लखोटिया के कारनामों को उजागर किया था। तब स्क्रैप के नाम पर सेल-भिलाई स्टील प्लांट में इतनी ज्यादा गड़बड़ी हुई कि सेल चेयरमैन चंद्रशेखर वर्मा को अपना मोबाइल फोन स्विच ऑफ करना पड़ गया था। बीएसपी के कई प्रमुख अफसरों का जो हश्र हुआ, वह किसी से छिपा नहीं है।
उन्होंने कहा कि आज लोग फैरो स्क्रैप निगम लिमिटेड को बचाने का ढोंग कर रहे हैं। ऐसे लोगों के लिए 2014 से 2024 तक यह कोई मुद्दा ही नहीं था। जबकि उस वक्त सब चुप्पी साधे हुए थे और मैं अकेले संघर्ष कर रहा था।
उन्होंने कहा कि अब तो 2024 में संसद सदन की सूरत भी भी बदल गई है, आज इन लोगों की बात सुनी भी जाएगी। इसलिए गंभीरता से सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण के खिलाफ आवाज उठाईए। उन्होंने कहा कि आज भिलाई स्टील प्लांट पूरा का पूरा आउटसोर्सिंग में चले गया है सिर्फ नाम का मैनेजमेंट रह गया है। भिलाई को गुंडे और ठेकेदार चला रहे हैं, यह आज की सच्चाई है।
उन्होंने कहा कि भिलाई के सार्वजनिक उपक्रमों को बेमौत मारने का यह सारा खेल 2017 के बाद ज्यादा जोर पकड़ने लगा। नरेंद्र तोमर जी के इस्पात मंत्री बनते ही एचएससीएल की दुर्दशा शुरू हो गई। इस सार्वजनिक उपक्रम को इस्पात मंत्रालय से हटा कर ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधीन कर दिया। आज जिस तरह भिलाई रिफ्रैक्ट्रीज प्लांट (बीआरपी) को सेल के अधीन करते हुए अब बीआरएल कर दिया गया है, ठीक वैसे ही फैरो स्क्रैप निगम लिमिटेड के साथ किया जाना चाहिए। जिससे यह सार्वजनिक उपक्रम बच जाए। अगर इसका निजीकरण किया गया तो इसकी मौत तय है। उन्होंने आह्वान किया कि सार्वजनिक उपक्रमों को बचाने एकजुटता के साथ आगे आएं।