Chhattisgarh

एनटीपीसी व अन्य उद्योग प्रबंधन लोगों के जीवन से खिलवाड़ करना बंद करें

0 धनरास और लोतलोता राखड़ बांध से प्रभावितों को उचित राहत दे प्रबंधन : सांसद

कोरबा लोकसभा की सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत ने कोरबा जिले में संचालित एनटीपीसी, सीएसईबी, बालको सहित अन्य उपक्रमों के द्वारा उत्सर्जित की जा रही फ्लाई ऐश (राख) का उचित निपटान नहीं किये जाने व इससे लोगों के जीवन और फसल पर उत्पन्न हो रहे संकट को गंभीरता से लिया है। सांसद ने कहा है कि उद्योग प्रबंधन लोगों के जीवन से ख्रिलवाड़ करना बंद करे। जिला प्रशासन इस दिशा में संबंधित विभाग के अधिकारियों के माध्यम से सख्त कार्रवाई कराये। सांसद ने कहा कि पूर्व में भी बैठकों में संयंत्रों की राख से आम जनता, किसानों को होने वाली परेशानी और इधर-उधर फेंकी जा रही राख से उत्पन्न समस्याओं पर कई निर्देश जारी किए जा चुके हैं किंतु ऐसा लगता है कि पर्यावरण संरक्षण के अधिकारी फील्ड पर जाकर काम नहीं करते, जिससे उन्हें राखड़ की भयावह होती समस्या के बारे में जानकारी तब मिलती है जब कोई घटना हो जाती है। संयंत्रों की राख कहां, कैसे और कब फेंकी जा रही है, इसके निस्तारण के मापदंडों का पालन हो रहा है या नहीं, इसकी निगरानी की जवाबदारी आखिर किसकी है?
एनटीपीसी के धनरास स्थित राखड़ बांध से ग्राम छुरीखुर्द, लोतलोता, झोरा, गांगपुरर, पुरेनाखार, चोरभट्ठी आदि के किसानों की लगभग 200 एकड़ से अधिक जमीन की फसल को नुकसान होने की जानकारी मुझे मिली है। अभी हाल ही में एनटीपीसी ने अपने बांध को बचाने के लिए किसानों की लगभग 40 एकड़ फसल को बर्बाद कर दिया। पानी के साथ राखड़ भी बहाया गया है और इससे किसानों के फसल नष्ट होने के साथ उन्हें आर्थिक नुकसान हुआ है। एनटीपीसी की इस हरकत से जीवन पर भी संकट उत्पन्न हो सकता है। इसी प्रकार सीएसईबी कोरबा पश्चिम के ग्राम लोतलोता राखड़ बांध का भी तटबंध हाल ही में फूट जाने से फसलों के नुकसानों को क्षति पर भी गंभीरतापूर्वक कार्रवाई करने के निर्देश सांसद ने दिए हैं।
सांसद ने कहा है कि कोरबा जिले में संचालित संयंत्रों से उत्सर्जित राख और इसके निस्तार की समस्या काफी पुरानी है। जगह-जगह पर राख फेंकने वालों के विरुद्ध आज तक कोई पुलिस कार्रवाई मानव जीवन पर संकट उत्पन्न करने के मामले में नहीं हुई है। उन्होंने कहा है कि संबंधित प्रबंधन और ठेकेदार व जिम्मेदार कर्मियों के विरुद्ध प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों को एफआईआर दर्ज कराना चाहिए।

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