लोन घोटाला : CBI ने एसकेएस पावर जनरेशन के खिलाफ दर्ज FIR अपने हाथ में ली
रायपुर-मुंबई समेत 14 ठिकानों पर मारा छापा
रायपुर । केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 5717 करोड़ रुपये के लोन घोटाले के मामले में एसकेएस पावर जनरेशन (सिलतरा) और इस समूह के डायरेक्टर-प्रमोटर्स समेत विभिन्न कंपनियों के 28 लोगों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को अपने हाथ में ले लिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देशानुसार सीबीआई ने 12 जून को यूपी के जौनपुर में दर्ज इस केस की एफआईआर की और शुक्रवार को रायपुर, मुंबई, कोलकाता, भुवनेश्वर और त्रिची में 14 स्थानों पर छापेमारी कर सबूत इकट्ठा किए हैं।
सीबीआई की ओर से जारी बयान के अनुसार, एसकेएस पावर (छत्तीसगढ़) के डायरेक्टर अनिल महाबीर गुप्ता, अभय कुमार साहू, अशोक कुमार साहू, महावीर प्रसाद गुप्ता, दीपक गुप्ता, एसकेएस के प्रमोटर-डायरेक्टर अनीश अनिल गुप्ता, श्रीकृष्णा स्ट्रक्चर्स की डायरेक्टर प्रेमलता गुप्ता और चार्टर्ड अकाउंटेंट प्रीतम बेरिया समेत मुंबई और कोलकाता की कई कंपनियों के 26 लोगों तथा स्टेट बैंक के मुख्य प्रबंधन रोहित पाराशर और जौनपुर एसबीआई के शाखा प्रबंधक को आरोपी बनाया गया है।
घोटाले की परतें और आरोप
सीबीआई के अनुसार, एसकेएस इस्पात एंड पावर लिमिटेड पर आरोप है कि कंपनी ने स्टेट बैंक, एलएंडटी इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस, पीटीसी इंडिया फाइनेंस और स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर से 6170 करोड़ रुपये का लोन लिया था और इसे चुकाया नहीं। इसके परिणामस्वरूप खाते में लगभग 5717 करोड़ रुपये के दोषपूर्ण बकाए की नीलामी की गई, जो एंटविकेलन इंडिया एनर्जी के पक्ष में लगभग 2000 करोड़ रुपये में तय हुई। आरोप है कि एंटविकेलन इंडिया एनर्जी वास्तव में एसकेएस इस्पात एंड पावर के पते पर ही दर्ज कंपनी है और 2019 में इसका एसकेएस में विलय हो गया।
अपराधी साजिश और फंड डायवर्जन
सीबीआई ने कहा है कि सभी आरोपियों ने आपस में मिलकर आपराधिक षड़यंत्र रचते हुए डमी कंपनियों की मदद से फर्जी शेयर लेनदेन के जरिए रकम डायवर्ट और फंड की राउंड ट्रिपिंग की। इसके अलावा, फर्जी कंपनियों के जरिए ब्रिटिश वर्जिन द्वीप समूह और बरमूडा के ब्रिटिश विदेशी क्षेत्रों में काफी रकम ट्रांसफर की गई। सीबीआई ने इन आरोपों की पुष्टि के लिए 14 स्थानों पर छापेमारी कर महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए हैं।
कानूनी धाराएँ
इन सभी आरोपियों के खिलाफ सीबीआई ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक षडयंत्र), 420 (धोखाधड़ी), 467 (मूल्यवान प्रतिभूति की जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज का उपयोग), 474 (जाली दस्तावेज का कब्जा), 476 (जाली दस्तावेज के साक्ष्य), 506 (आपराधिक धमकी), 507 (अज्ञात व्यक्ति द्वारा आपराधिक धमकी) और 511 (आपराधिक कार्य के प्रयास) में एफआईआर दर्ज की है।
इस लोन घोटाले की जांच के सिलसिले में सीबीआई की छापेमारी और बरामद दस्तावेजों से मामले की गंभीरता और विस्तृत साजिश का खुलासा हुआ है, जिससे अन्य संबंधित तथ्यों की जांच की जाएगी।