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कड़ी कार्रवाई के साथ सबक भी लेना चाहिए…

सुनील दास

कोई भी बड़ी और बुरी घटना होती है तो वह अचानक नहीं होती है, उसकी तैयारी की जाती है,उसके बाद भीड़ की आड़ में वह सब किया जाता है जो कुछ लोग ऐसे नहीं कर पाते है। यह अराजक व हिंसक तत्व होते है। यह भीड़़ का फायदा उठाने वाले होते हैं।जहां भी भीड़ लगती है, वह भीड़ को उकसाकर वह सब करवा लेते हैं जो वह करवाना चाहते हैं।

अराजक तत्व तो मौका मिलने पर अराजकता फैलाएंगे ही, इसे रोकना तो जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन का काम है। अराजक तत्व क्या करने वाले है,यह पता लगाना पुलिस का काम है,वह समय से पहले पता नहीं लगा पाई और उसी का परिणाम है कि भीड़ में शामिल अराजक तत्वों ने कलेक्टर व एसपी आफिस में भारी तोड़फोड़ कर आग लगा दी। कार्यालयों के परिसर में खड़े सैकड़ों वाहनों को जला दिया।कहीं आग लगाना व वाहनों को जलाना यूं ही अचाकन कोई नहीं कर सकता है, इसके लिए तैयारी करने पड़ती है। कहीं भी आग लगाना होता है तो इसके लिए पेट्रोल व डीजल की जरूरत होती है, उसे ले जाने के लिए जरीकेने की जरूरत होती है। जब भीड़ में ऐसे लोग शामिल थे जिनके पास आग लगाने का पूरा सामान था था तो इसका मतलब है कि अराजक तत्व आग लगाने की तैयारी करके आए थे।

जिला व पुलिस प्रशासन की असफलता यह है कि वह अराजक तत्वों के मंसूबों का समय रहते पता नहीं लगा पाई इसलिए वह आगजनी व तोड़फोड़ को रोक नहीं पाई। यह तो शुक्र है कि दफ्तरों में काम रहे लोगों को आग लगाने से पहले सुरक्षित निकाल लिया गया। बताया जाता है सतनामी समाज इस बात ने नाराज था कि गिरौदपुरी के मानाकोनी धार्मिक स्थल में कुछ लोगों ने तोड़फोड़ की थी। समाज चाहता था कि दोषी लोगों पर कार्रवाई की जाए, बताया जाता है कि पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, समाज के लोग इससे संतुष्ट नहीं थे, वह दोषी लोगों पर कार्रवाई व मामले की जांच की मांग कर रहे थे। कलेंक्ट ने इस मामले में बैठक बुलाकर समाज के लोगों से बात की थी, गृहमंत्री ने घोषणा की थी कि मामले की न्यायिक जांच कराई जाएगी।

समाज के लोगों ने १० जून को इस मामले में धरना प्रदर्शन करने के लिए अनुमति ली थी। धरना प्रदर्नश के दौरान किसी बात से भीड़ उग्र हुई तो इस स्थिति का फायदा अराजक तत्वों ने उठाया। भीड़ को पुलिस ने रोकने का प्रयास किया लेकिन वह नहीं रोक पाई और भीड़ कलेक्टर व एसपी आफिस पहुंच कर वहां आग लगा दी और सैकड़ो वाहनों को जला दिया। इस घटना से पुलिस व जिला प्रशासन को यह सबक लेने की जरूरत है कि वह किसी भी संगठन या समाज को ज्यादा भीड़ वाले आयोजन करने की अनुमति न दे।

जब भी कोई समाज किसी बात से नाराज होता है तो उस मामले को गंभीरता से लेने की जरूरत है। मामले को जल्द निपटाने का प्रयास करना चाहिए। समाज को ऐसा नहीं लगना चाहिए कि पुलिस व जिला प्रशासन उसकी बात नहीं सुन रहे हैं। समाज की भी कोशिश होनी चाहिए कि वह ज्यादा भीड़ किसी आयोजन में एकत्र न करे। उतने ही लोगों को आयोजन में बुलाए जिनको नियंत्रित किया जा सके।उसे इसब बात से बहुत सावधान रहने की जरूरत है कि अराजक तत्व उनके आयोजन में शामिल न हो सकें। जब भी बलौदाबाजार जैसी घटना होती है तो उससे सबक लिया जाना चाहिए और इस घटना के लिए दोषी लोगों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि वह भविष्य में इस तरह कानून व्यवस्था से खिलवाड़ न कर सकें। किसी कलेक्टर या एसपी आफिर में आग लगाने की हिम्मत न कर सके।

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