होता है अंदाजे-बयां का असर कुछ ज्यादा…
कहने को देश की राजनीति में हजारों नेता है, सभी रोज कुछ न कुछ जनता से कहते हैं। सबकी बातों का जनता पर कोई असर नहीं होता है। वह सुनते हैं, भूल जाते हैं। वह एक कान से सुनते है, दूसरे कान से निकाल देते हैं। एक दिन सुनते हैं और दूसरे दिन भूल जाते हैं।दूसरे दिन कोई पूछे फलाने नेता ने कल क्या कहा था तो जनता को याद ही नहीं रहता है क्योंकि ज्यादातर नेता जिस तरह अपनी बात कहते हैं, उस तरह तो हजारों नेता कहते हैं।
बात तो उस नेता की याद रहती है जिसे अपनी बात रोचक ढंग से कहनी आती है। जिसका अपनी बात को कहने का एक अलग ही अंदाज होता है। नेता के कहने के अलग अंदाज के कारण ही हजारों लोगों को उनकी बात याद रहती है। अपनी बात कहने का कोई मतलब भी तो तब ही होता है, जब कही गई लोग भूलें नहीं। पीएम मोदी व राहुल गांधी में एक बहुत बड़ा अंतर अपनी बात को कहने के अंदाज का है।
“जिस बात को पीएम मोदी रोचक ढंग से कहते है, राहुल गांधी उसी बात को कहते हैं तो वह रोचक नही होती है।सीधी सपाट बात होती है, जिस तरह हजारों लोग बात करते है, उसी तरह राहुल गांधी सीधी सपाट बात करते हैं, इसका सुनने पर वाले पर खास असर नहीं होता है,सुनने वाला उनसे जुड़ता नही है। कोई किसी की कही बात भूल गया तो इसका मतलब होता है कि वह उस आदमी को भी भूल गया। राहुल गांधी की बात लोग भूल जाते हैं, इसलिए राहुल गांधी को भी भूल जाते हैं।
जैसे राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा को इस बार १५० सीटें ही मिलेंगी। बिलकुल सीधी सपाट बात है। लोग सुनेंगे और भूल जाएंगे,पढ़ेंगे और भूल जाएंगे। वोट देते वक्त भी याद नहीं रहेगा कि राहुल गांधी ने क्या कहा था तो वह भाजपा को वोट नहीं देने का फैसला कैसे करेगा। राहुल गांधी से कोई पूछे कि आपने किस आधार पर कहा कि भाजपा को इस चुनाव में १५० सीटें ही मिलेंगी तो वह कोई ठोस आधार भी नहीं बता पाएंगे।”
वहीं पीएम मोदी इसी बात को कहते हैं तो वह रोचक ढंग से कहते है, कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी की जितनी उम्र है, उतनी सीटें भी नहीं मिलेंगी। पीएम मोदी की बात को लोग याद रखेंगे क्योंकि वह अपनी बात को राहुल गांधी से ज्यादा रोचक ढंग से कह रहे हैं। उन्होंने कोई आंकड़ा बताया नहीं है। उन्होंने सुनने वाले में जिज्ञासा पैदा कि राहुल गांधी की उम्र कितनी है। सुनने वाले को पता नहीं है कि राहुल गांधी की उम्र कितनी है तो वह पता करेगा और तब उसको पता चलेगा कि इस बार कांग्रेस को कितनी सीटें मिलने वाली हैं।
पीएम मोदी रोचक ढंग से बता रहे है कि कांग्रेस हार रही है। इसलिए उसे वोट देने की जरूरत नहीं है।अगर उनसे कोई पूछे कि आप ने किस आधार पर कहा कि कांग्रेस को पचास से कम सीटें आएंगी तो वह कह सकते हैं कि कांग्रेस पिछले दो चुनाव में जितनी सीटों पर चुनाव लड़ती है, उसका दस से १२ प्रतिशत सीट ही जीतती है।
वही मैसेज जनता को राहल गांधी भी देते है और पीेएम मोदी भी देते है लेकिन राहुल गांधी का संदेश जनता याद नहीं रखती है,इसलिए उनके कह पर अमल भी नहीं करती है, पीएम मोदी के मैसेज को रोचक ढंग से कहे जाने के कारण जनता याद रखती है और उस पर अमल भी करती हैै। राजनीति में मैसेज देना ही काफी नहीं होती है, कैसे दिया जा रहा है,यह सबसे ज्यादा अहम होता है।कौन दे रहा है यह भी अहम होती है।